गीत
जय माँ हंसासिनी
मन के उद्गार
कमल कदम ,सिंह आसन
कर वीणा ,पुस्तक, शासन
श्वेतांबरा ,पद्मासना ,माँ भवानी
सुन ले पुकार तू है अंबे रानी …।
करुणा की सागर मैया ,भव पार लगा देना ।
तूफान है बहुत भारी, मेरी नाव तिरा देना।
झूठे रिश्तों में बंधकर ,अब तक जीवन खोया
अपने ही हाथों मैया , कंटक बीजों को बोया।
अब शरण तेरी आई ,दुःख जाल हटा देना
तूफान है बहुत भारी , मेरी नाव तिरा देना।
मैया तेरी भक्ति सै ,सब संकट टल जाते हैं।
अज्ञान तिमिर छटता ,सुख के पल आते हैं।
चरणों में पड़ी हूँ मैं,मुझे राह दिखा देना ।
तूफान है बहुत भारी ….
झंझा के झकोरों से ,कष्ट मिला है भारी
भ्रम जाल में फँस कर,मति गयी है मारी
चरणों में मस्तक है ,मुझे तू शरणा देना
तूफान है बहुत भारी ……
आतम अनुभव अमृत ,तजकर विषपान किया
मिथ्यात्व हलाहल में ,छक कर स्नान किया ।
सत्य -झूठ से बचा कर, सद् बोध दिशा देना ।
तूफान है बहुत भारी ,मेरी नाव तिरा देना।
—मनोरमा जैन ‘पाखी’