Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2021 · 1 min read

गीत

क्या कर लेगा कोई तुम्हारा, अड़े रहो
आकाशी बूँदों का, अस्तित्व नहीं होता

रात रात भर, जाग जाग कर
नयन क्यों खोवै
पल दो पल की नींद तुम्हारी
सपन क्यों बोवै
लेनी है यदि साँस धरा पर, अड़े रहो
रातों में सूरज का, तेजत्व नहीं होता।

जीती तुमने जंग हजारों
अपने कौशल से
अब क्यों हारा थका बैठा है
भीगे आँचल से
यही मिली है सीख हमें तो, डटे रहो
रण में कभी भीरु का, वीरत्व नहीं होता

छोड़ भी दे तू अब यह कहना
प्रभु की इच्छा
क्या गीता क्या रामायण, बस
मन की इच्छा
क्या कर लेगा काल तुम्हारा, खड़े रहो
आकाशी चीजों में, सतीत्व नहीं होता।।

सूर्यकांत

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 618 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Suryakant Dwivedi
View all
You may also like:
बारिश
बारिश
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
"सूर्य -- जो अस्त ही नहीं होता उसका उदय कैसे संभव है" ! .
Atul "Krishn"
"मतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
सौदा हुआ था उसके होठों पर मुस्कुराहट बनी रहे,
सौदा हुआ था उसके होठों पर मुस्कुराहट बनी रहे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अब मैं
अब मैं
हिमांशु Kulshrestha
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
सत्य कुमार प्रेमी
Inspiring Poem
Inspiring Poem
Saraswati Bajpai
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सियासत जाती और धर्म की अच्छी नहीं लेकिन,
सियासत जाती और धर्म की अच्छी नहीं लेकिन,
Manoj Mahato
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
4256.💐 *पूर्णिका* 💐
4256.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रमेशराज की पिता विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की पिता विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
दिल पे पत्थर ना रखो
दिल पे पत्थर ना रखो
shabina. Naaz
सुबह-सुबह उठ जातीं मम्मी (बाल कविता)
सुबह-सुबह उठ जातीं मम्मी (बाल कविता)
Ravi Prakash
जब लोग आपसे खफा होने
जब लोग आपसे खफा होने
Ranjeet kumar patre
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
जिदंगी भी साथ छोड़ देती हैं,
जिदंगी भी साथ छोड़ देती हैं,
Umender kumar
अपने अपने कटघरे हैं
अपने अपने कटघरे हैं
Shivkumar Bilagrami
यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
Meenakshi Masoom
..
..
*प्रणय प्रभात*
नर्क भोगने के लिए पाप करना ही जरूरी नहीं हैं, अगर आप एक शिक्
नर्क भोगने के लिए पाप करना ही जरूरी नहीं हैं, अगर आप एक शिक्
पूर्वार्थ
आसान होते संवाद मेरे,
आसान होते संवाद मेरे,
Swara Kumari arya
'निशात' बाग का सेव (लघुकथा)
'निशात' बाग का सेव (लघुकथा)
Indu Singh
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
GOOD EVENING....…
GOOD EVENING....…
Neeraj Agarwal
खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
gurudeenverma198
वो हमको देखकर मुस्कुराने में व्यस्त थे,
वो हमको देखकर मुस्कुराने में व्यस्त थे,
Smriti Singh
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Loading...