#गीत
#कुछ ख़त मोहब्बत के
यौवन की याद दिलाते हैं,
नैनों के चमन खिलाते हैं।
कुछ ख़त मोहब्बत के यारो,
दिल से संभाले जाते हैं।।
कभी ख़ून से कभी फूल से,
चाहत रीत सजाई ख़त में।
पीर लिखी भर नीर लिखी है,
अपनी रूह बसाई ख़त में।
प्राण समझ भेजा है प्रिय को,
अश्रु कहाँ पढ़ रुक पाते हैं।
कुछ ख़त मोहब्बत के यारो,
दिल से संभाले जाते हैं।
विरह जलाए प्रेम बढ़ाए,
मधुर मिलन को मन ललचाए।
आलिंगन के ज़श्न प्रीत में,
प्रेमी मन फूला न समाए।
आँखें चार हुई मिलके जो,
तम घोर उजाले पाते हैं।
कुछ ख़त मोहब्बत के यारो,
दिल से संभाले जाते हैं।।
आँखों की भाषा तो ‘प्रीतम’,
प्रेमीजन ही पढ़ पाते हैं।
ढ़ाई आखर प्रेम पढ़ें जो,
सच्चे प्रेमी कहलाते हैं।
ख़त से बढ़के हृदय नहीं वो,
मर्म हृदय का समझाते हैं।
कुछ ख़त मोहब्बत के यारो,
दिल से संभाले जाते हैं।।
यौवन की याद दिलाते हैं,
नैनों का चमन खिलाते हैं।
कुछ ख़त मोहब्बत के यारो,
दिल से संभाले जाते हैं।।
#आर.एस.’प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित गीत