गीत
गीत
——
वक्त है वक्त पर चलेगा,
दिन हुआ है तो ढलेगा।
चलता चल तू राहों पर,
नसीबा बदल जायेगा।।
मेहनत की अग्नि में तपा,
कृषक का संतान है तू।
पंक के अंक में पलकर।
सरोज बन महक जायेगा।
उस खान का हीरा है तू,
घिसकर चमक जायेगा।।
रख खुद पर भरोसा तू।
सब कुछ यहाँ पे मिलेगा।।
आज छाया है जो अंधेरा,
ज्ञान दिप्त में बदल जायेगा।
सींच मेहनत से इतनी तू ,
पत्थर भी पिघल जायेगा।।
बना मजबूत इरादों का गिरी,
सारा संकट भी टल जायेगा।
यूँ जो मुश्किल हुआ है सफ़र,
वो हँस कर निकल जायेगा।।
कुन्दन कुंज
बनमनखी, पूर्णिया
01/09/20