गीत
ये शाम के धुंधलके
लम्बे हैं साये दिलके
लम्हें हैं हल्के हल्के
ये शाम के धुंधलके
बोझिल सी है तबीयत
एहसास छल्के छल्के
पैमां में आ गयी है
सूरज की रज पिघलके
मदहोश हैं नज़ारे
हल्की सी हैं फुहारै
ये हुस्न संवरे संवरे
आंचल हैं ढलके ढलके
आहिस्ता बह रही हैं
ये भीनी सी हवायें
मौसम है कुछ शराबी
ए दिल ज़रा संभलके
आंखो में लाल डोरे
उगले हैं प्यार की लौ
हैं जिस्म कुछ शरारे
अरमां जवां मचलके
नाराज़ ही न कर दे
ये इश़्क़ मेरा मचलके
आंखे भरी भरी हैं
अन्दाज़ बहके दिलके
ये बे ख़ुदी की बातें
मेरा होश ला रही हैं
अब तुझ से इल्तिजा है
ए चान्द आ निकलके
ग़म के हसीन साये
सज धज के आ रहे हैं
मौसम बदल रहें हैं
ए शाह हमारे दिल के
शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी