गीत
हिन्दी गीत
आज की शाम कुछ ऐसा करदूं,
कि मैं सबको याद आऊं।
बीती बातें भूल गये जो,
मैं फिर सबको याद दिलाऊं।
वो क्यों जा रहा मेरी महफिल से,
कोई समझे तो समझाये।
मुझको भी तुम सुनते रहना,
जोर से जो आवाज लगाऊँ।
नैन से सीखे तीरंदाजी,
सीधा मेरा दिल हो निशाना।
दर्द वो कितना भी देते जाए,
मैं हँसकर सब सहता जाऊं।
नए जमाने में नई तस्वीरें,
हम हैं पुराने यार कहीं के।
हम भी थें गुलजार कहीं के,
मैं ये सबको राज बताऊं।
दिल ये तुम्हारा मुझको भाये,
मेरा भी दिल तुमको।
अपनी हैं ये रात मिलन की,
मैं एक पुराना गीत सुनाऊं।
Rishikant Rao Shikhare
14-07-2019