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12 Nov 2016 · 1 min read

गीत

मन की बोली

मन की बोली जो कोई जाने,
वो ही अपना कहलाता है।
मन वो पंछी जो निश- दिन, हमको,
ख़्वाब सुनहरे दिखलाता है।
यूँ तो चाहे आज़ादी ये पर,
रिश्ते- बंधन प्रिय पाता है।
भीड़ परायों की कम ही भाये,
केवल कुछ अपने प्रिय- जन है।
जीवन में जो कुछ भी पाये,
नाम उन्हीं के कर जाता है।
सुख में दुख में हो या बेसुध में,
केवल उनका कहलाता है।
खोकर चैन, अमन, धन या जीवन,
वापस घर आना चाहता है।

Language: Hindi
Tag: गीत
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