Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2016 · 1 min read

गीत

मन की बोली

मन की बोली जो कोई जाने,
वो ही अपना कहलाता है।
मन वो पंछी जो निश- दिन, हमको,
ख़्वाब सुनहरे दिखलाता है।
यूँ तो चाहे आज़ादी ये पर,
रिश्ते- बंधन प्रिय पाता है।
भीड़ परायों की कम ही भाये,
केवल कुछ अपने प्रिय- जन है।
जीवन में जो कुछ भी पाये,
नाम उन्हीं के कर जाता है।
सुख में दुख में हो या बेसुध में,
केवल उनका कहलाता है।
खोकर चैन, अमन, धन या जीवन,
वापस घर आना चाहता है।

Language: Hindi
Tag: गीत
499 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बेख़ौफ़ क़लम
बेख़ौफ़ क़लम
Shekhar Chandra Mitra
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
gurudeenverma198
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा...
उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा...
दीपक झा रुद्रा
बात क्या है कुछ बताओ।
बात क्या है कुछ बताओ।
सत्य कुमार प्रेमी
जा रहा हु...
जा रहा हु...
Ranjeet kumar patre
" आज चाँदनी मुस्काई "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मन मयूर
मन मयूर
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Chitra Bisht
सब गोलमाल है
सब गोलमाल है
Dr Mukesh 'Aseemit'
सौदेबाजी रह गई,
सौदेबाजी रह गई,
sushil sarna
मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,
मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,
Yogendra Chaturwedi
*रिमझिम-रिमझिम बारिश यह, कितनी भोली-भाली है (हिंदी गजल)*
*रिमझिम-रिमझिम बारिश यह, कितनी भोली-भाली है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"गलतफहमियाँ"
जगदीश शर्मा सहज
ग़ज़ल _ दर्द सावन के हसीं होते , सुहाती हैं बहारें !
ग़ज़ल _ दर्द सावन के हसीं होते , सुहाती हैं बहारें !
Neelofar Khan
हाथी मर गये कोदो खाकर
हाथी मर गये कोदो खाकर
Dhirendra Singh
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
Manoj Mahato
राहें  आसान  नहीं  है।
राहें आसान नहीं है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.??
हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.??
पंकज परिंदा
आदमी आदमी के रोआ दे
आदमी आदमी के रोआ दे
आकाश महेशपुरी
2800. *पूर्णिका*
2800. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दहकता सूरज
दहकता सूरज
Shweta Soni
स्मृति
स्मृति
Neeraj Agarwal
मायका
मायका
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"जगह-जगह पर भीड हो रही है ll
पूर्वार्थ
"ककहरा"
Dr. Kishan tandon kranti
.........???
.........???
शेखर सिंह
😊भायला-भायलियों!
😊भायला-भायलियों!
*प्रणय*
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
Sunil Maheshwari
Loading...