गीत
उलझ- उलझ कर सुलझ- सुलझ कर, फिर से उलझ जाती हूँ ।
तुम्हें जब उदास पाती हूँ ।
मचल- मचल कर, संभल- संभल कर, फिर से मचल जाती हूँ ।
जब दिल के पास पाती हूँ ।
बिखर- बिखर कर, सिमट- सिमट कर, फिर से बिखर जाती हूँ ।
जब दूर तुमको पाती हूँ ।
भटक- भटक कर, ठहर- ठहर कर, फिर से भटक जाती हूँ ।
जब ख़ुद से ख़फ़ा पाती हूँ ।
निखर-निखर कर, संवर- संवर कर, फिर से निखर जाती हूँ।
जब प्यार तेरा पाती हूँ ।
श्रीमती रवि शर्मा