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16 Apr 2020 · 1 min read

गीत

‘जान है तो जहान है’

छीन कर मुस्कान जीवन में भरा संत्रास है,
आज कोरोना मनुज का कर रहा उपहास है।

चीन से रिश्ता बना जग सह रहा उसकी चुभन,
विश्व के सरताज़ की चाहत बनी जन की रुदन।
खेल खेला चीन ने खोया जगत विश्वास है,
आज कोरोना मनुज का कर रहा उपहास है।

छा गयी वीरानगी सड़कें दिखें सुनसान सी,
ध्वस्त सपने मुँह चिढ़ाते खो रही पहचान सी।
पूत बाहर तड़पता अब शून्य सा अहसास है,
आज कोरोना मनुज का कर रहा उपहास है।

शंख, दीपक, लॉकडाउन बन गए जीवन यहाँ,
साँस में विष घुल रहा मुरझा गया तन-मन यहाँ।
धैर्य को साथी बना जन काटता वनवास है,
आज कोरोना मनुज का कर रहा उपहास है।

है परीक्षा की घड़ी निज सोच को विस्तार दो,
भूल नफ़रत, द्वेष ताकत बन जगत उपहार दो।
धार संयम पीर हर लो बेरहम ये प्यास है,
आज कोरोना मनुज का कर रहा उपहास है।

जॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

Language: Hindi
Tag: गीत
509 Views
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