गीत- हमें मालूम है जीना…
हमें मालूम है जीना हमारा यार बिन मुश्क़िल।
बदल बैठे हमीं इक दूसरे से प्यार करके दिल।।
बहे दरिया मिले सागर मिलन चाहत फ़साना है।
सुरों का मेल हो बनता तभी सुंदर तराना है।
मुसाफ़िर की मुहब्बत सिर्फ़ पाना है हसीं मंज़िल।
बदल बैठे हमीं इक दूसरे से प्यार करके दिल।।
तन्हाई छेड़ती है दिल रुखाई काटती है दिल।
मधुर मीठी हुई बातें हमारा डाटती हैं दिल।
रहें हम साथ बिजली और बादल बन बड़ा हासिल।
बदल बैठे हमीं इक दूसरे से प्यार करके दिल।।
ख़ुमारी है मुहब्बत की मिले गुल-बू सरिस दो मन।
करें रब से दुवा इतनी बने गुलशन मिला जीवन।
नयन मैं हूँ अगर ‘प्रीतम’ सुनो तुम हो मेरे काजल।
बदल बैठे हमीं इक दूसरे से प्यार करके दिल।।
आर. एस. ‘प्रीतम’