गीत-4 (स्वामी विवेकानंद जी)
जिनकी प्रतिभा और विद्वता,पड़ी सभी पर भारी।
उन्हें विवेकानंद नाम से, दुनिया सदा पुकारी।।
रूप तेज लावण्य देख था,जग जिनका दीवाना,
पूर्ण किया अध्यात्म ज्ञान को,दे वेदांत खजाना।
देशभक्ति की युवकों में थी,छिटकाई चिंगारी।
उन्हें विवेकानंद नाम से, दुनिया सदा पुकारी।।
जिससे मिले नरेंद्र उसी ने,उनको खूब सराहा,
जग में सिरमौर बने ये भारत,आजीवन यह चाहा।
केवल संत नहीं थे स्वामी , वे थे राष्ट्र पुजारी,
उन्हें विवेकानंद नाम से, दुनिया सदा पुकारी।।
जागो उठो लक्ष्य निज साधो, लोगों को सिखलाया।
आप्त वचन देकर दुनिया को,सत्पथ था दिखलाया।
युगानुकूल निज सोच बनाई, नव परिवर्तन कारी।
उन्हें विवेकानंद नाम से, दुनिया सदा पुकारी।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय