गीत सजाओगे क्या
गीत सजाओगे क्या
जीवन की देहरी पर तुम प्रेम के गीत सजाओगे क्या ,
प्रेम गीत सुन मेरे कभी मुझसे मिलने आओगे क्या?
दीप जला कर विश्वास का रखूगी इस संसार में प्रिये,
मेंरे विश्वास का दीपक तुम आकर जलाओगे क्या ?
चाहत है अपनें जीवन के सारे अधिकार पाने की,
मेरे दिल की आवाज को कभी तुम सुन पाओगे क्या?
चाहत, आकांक्षा, तमन्ना, अभिलाषा हैं मेरी,
मेरे सुख दुःख में तुम रह साथ निभाओगे क्या?
तेरे इश्क के लाल रंग में रंगने का बहुत है मन मेरा,
इश्क मुकम्मल हो हमारा तो गीत गुनगुनाओगे क्या?
अक्षत कलश गिरा कुंकुम वाले पाँवो से बन दुल्हन,
आऊँगी तेरे घर में तो बोलो मुझे अपनाओगे क्या?
मद्धम मद्धम धूप में जब प्यार परवान पर चढेगा,
प्यार में रूठना मनाना तब तुम मुझे सहलाओगे क्या?
प्रणय गीत गूंजते रहें तेरी बाँहों का आशियाना हो,
तरंगित हो नभ तब तुम मुझे बाँहों में झुलाओगे क्या?
सुर सजने लगे इश्क के धरा से ले आकाश तक,
संगीत की स्वर लहरियां ‘राज “के साथ गाओगे क्या?
डा राजमती पोखरना सुराना
भीलवाड़ा राजस्थान