गीत लिखूं या लिखूं मैं कविता___ गीत
गीत लिखूं या लिखूं मैं कविता।
यह मेरा जीवन _ मुझसे कहता।
जमाना किधर चला_ कैसा है यह सिलसिला।।
(१)
घर घर में है, झगड़े लड़ाई।
बच्चे करते फोन से पढ़ाई।।
चिंताएं तब_ बढ़ती जाए,
आंखें हर पल उसमें गढ़ाई।
दिखने लगे जब धुंधला धुंधला_
समझे कहां वह बुरा भला।।
जमाना किधर चला_कैसा यह सिलसिला।।
(२)
नैतिक पतन अब होने लगा है।
रात रात भर काहे को जगा है।
समझ न आए यह कैसा नशा है।
रोग उनको यह कैसा लगा है।।
मोबाइल जब से मिला _करेगा नहीं भला।
जमाना किधर चला_ कैसा यह सिलसिला।।
(३)
मानो गुरु की मात-पिता की।
उनसे तुमने काहे खता की।।
दी जो आज्ञा अकड़ बता दी।
सारी मर्यादा क्यों कर घटा दी।।
लगे मुंह उनका सिला ,आपका खुला खुला।
जमाना किधर चला__ कैसा यह सिलसिला।।
राजेश व्यास अनुनय