गीत- रहें मिलकर सजाएँ प्यार से…
रहें मिलकर सजाएँ प्यार से आँगन चमन जैसा।
उड़े हर रंग ख़ुशबू ले नज़ारा हो अमन जैसा।।
तेरी-मेरी मुहब्बत में रहे बस रूह का मिलना।
अगर नाराज़गी हो तो हो कुछ पल बाद फिर हँसना।
हमारे प्यार का किस्सा मधुर हो इक ग़ज़ल जैसा।
उड़े हर रंग ख़ुशबू ले नज़ारा हो अमन जैसा।।
इसे संगीत से सींचों इसे गाओ बना जीवन।
मुहब्बत एक नग़मा है सुनाएँ हम भुला उलझन।
चमक चाहत लिए जिसकी असर उसका है हल जैसा।
उड़े हर रंग ख़ुशबू ले नज़ारा हो अमन जैसा।।
लबों की रागिनी सुन मैं कपोलों को सराहूँगा।
अगर मैं दूर जाऊँ तो तुझे दिल में बिठाऊँगा।
जिताए जंग हर “प्रीतम” क़दम हो उस अदब जैसा।
उड़े हर रंग ख़ुशबू ले नज़ारा हो अमन जैसा।।
आर. एस. ‘प्रीतम’