गीत :– ये जुल्फें ये आँखें ये होठों की लाली !!
गीत :– ये जुल्फें ये आँखें ये होठों की लाली !!
ये जुल्फें ये आँखें ये होठों की लाली !
खुदा नें है बख्शा या तूने चुरा ली!!
दहकता ये जौवन ..ये झूमे बदन है !
ना दिल में तपन है ना माथे शिकन है !!
सागर मे खिलता गुलाबी कमल ज्यों ;
चहरे पे रौनक वो दीवानापन है !!
ये नाक की नथनी ये कानों की बाली !
खुदा नें है बख्शा या तू नें चुरा ली !!
सांसों से तेरी ये महका चमन है !
नजाकत निगाहों में एक आवरण है !
सितारे ये पूछें जमीं में उतर कर ;
परी है या कोई कली गुलबदन है !!
ये आहें ये सांसें ये बातें निराली !
खुदा नें है बख्शा या तूने चुरा ली !!
कवि :– अनुज तिवारी “इन्दवार”