गीत :- मैं एक मुसाफ़िर हूं
मैं एक मुसाफ़िर हूं दिल एक मुसाफ़िर है
ना मेरी मंजिल है ना मेरा ठिकाना है
मैं एक मुसाफ़िर हूं दिल एक मुसाफ़िर है
जज़्बा एक दिल में है मंजिल को पाना है
दुनियां का क्या कहना बस आना जाना है
मैं एक मुसाफ़िर हूं दिल एक मुसाफ़िर है
ना मेरी मंजिल। है ना मेरा ठिकाना है
जख्मों को अब सी ले थोड़ा सा ग़म पी लें
जीवन अब थोड़ा थोड़ा सा अब जी लें
मैं एक मुसाफ़िर हूं दिल एक मुसाफ़िर है
ना मेरी मंजिल है ना मेरा ठिकाना है
दिल इक बेचारा आवारा ग़म से हारा
सम्भले तो अब कैसे ना कोई सहारा
मैं एक मुसाफ़िर हूं दिल एक मुसाफ़िर
ना। मंजिल है ना मेरा ठिकाना है
मैं एक मुसाफ़िर हूं दिल एक मुसाफ़िर है ।।
?मधुप बैरागी