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14 Sep 2024 · 1 min read

गीत- मेरी जानाँ तेरा जाना…

मेरी जानाँ तेरा जाना कभी अच्छा नहीं लगता।
बिना सुर के कि ज्यों गाना कभी अच्छा नहीं लगता।।

किनारे दो जुड़ें जैसे नदी बनती हमेशा है।
हृदय दो जुड़ें वैसे वफ़ा खिलती हमेशा है।
अलग ग़ुल-बू हों अफ़साना कभी अच्छा नहीं लगता।
बिना सुर के कि ज्यों गाना कभी अच्छा नहीं लगता।।

अदब इज़्ज़त जलन नफ़रत दिया करती ज़माने में।
लिए चुंबक ख़रा वो गुण लगे लोहा पटाने में।
मिलन के वक़्त छल पाना कभी अच्छा नहीं लगता।
बिना सुर के कि ज्यों गाना कभी अच्छा नहीं लगता।।

बनूँ मैं आइना सूरत अगर बन तुम लुभाओ तो।
बनूँ मैं गीत दिल से तुम समझ हमदम जो गाओ तो।
मुहब्बत कर दिया ताना कभी अच्छा नहीं लगता।
बिना सुर के कि ज्यों गाना कभी अच्छा नहीं लगता।।

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
1 Like · 58 Views
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