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12 Jan 2018 · 1 min read

गीत ….मिलेगें जब मेरे मन मीत

मिलेगें जब मेरे मन मीत ……

मिलेगें जब मेरे मन मीत, होठों पै उपजेगें गीत
पैंग बढेगी सावन जैसे, पूरी होगी मन की प्रीत
मिलेगें जब मेरे मन मीत……..

आयेगी वो छम छम करती, मन आंगन में गुंजन करती
अलबेली अल्हड सी वो, मेरे मन को लेगी जीत
मिलेगें जब मेरे मन मीत ……….

चाहूं और होगी खुशहाली , झूमेगी जब कान की बाली
मेरे दिल से दिल लगाकर , जब वो निभायेगी रीत
मिलेगें जब मेरे मन मीत …………

सपनों की बारातें होगीं , ख्बाबो की सब रातें होगीं
फूल खिलेगें हरसू हरसू , कोयल भी गायेगी गीत
मिलेगें जब मेरे मन मीत ………..

नैनों में भरकर मधुशाला , आयेगी जब वो बाला
अपने होठों से उसे पीकर, कर लूंगा मै अपनी जीत
मिलेगें जब मेरे मन मीत …………

मन लेता अंगडाई अकेला , प्यारा कितना प्रेम झमेला
अपनी धुन में रमकर “सागर”, लिखते रहेगें कहानी गीत
मिलेगें जब मेरे मन मीत ………….!!

मूल गीतकार …….
डाँ. नरेश कुमार ” सागर ”
9897907490

Language: Hindi
Tag: गीत
346 Views

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