गीत- बहुत सुंदर बड़ी चंचल…
*गीत- बहुत सुंदर
बहुत सुंदर बड़ी चंचल अदाएँ यार की मेरे।
दुवा रब से हज़ारों साल वय हो प्यार की मेरे।।
मेरा साथी मेरा सबकुछ लुटा दूँ जान भी इसपर।
करूँ गुस्सा कभी चाहत रहे अभिमान भी इसपर।
यही सरग़म यही आवाज़ है संसार की मेरे।
दुवा रब से हज़ारों साल वय हो प्यार की मेरे।।
निभाने से निभा करती कोई भी रस्म हो प्यारे।
लिखी दिल से गगन छूती कोई भी नज़्म हो प्यारे।
हसीं मंज़र नज़र देखे दिले-मुख़्तार की मेरे।
दुवा रब से हज़ारों साल वय हो प्यार की मेरे।।
मुसीबत में हुआ मेरा वही तो दोस्त है मेरा।
किनारा कर गया मुझसे उसे छल का कहूँ घेरा।
करे जो फिक्र किये सदक़ा समझ दिल सार की मेरे।
दुवा रब से हज़ारों साल वय हो प्यार की मेरे।।
आर. एस. ‘प्रीतम’