गीत प्रतियोगिता के लिए
गीत
वतन मेरा है मैं क्यों न करूं इसको नमन झुककर
संभाला है मुझे इसने हमेशा बाँह में भरकर ..
.मुझे देता है संबल ये तिरंगा तीन रंगों से
मिले कठिनाइयों के हल सदा इसकी उमंगों से
नहीं ये सिर्फ एक झंडा ये वीरों की कहानी है
शहीदों ने बहाया जो लहू उसकी निशानी है
इसी की शक्ति से ही तो रहा दुश्मन सदा डरकर
संभाला है मुझे इसने हमेशा बांह में भरकर .
बसे हैं इसके कण-कण में प्रभु ये इतनी पावन है
धरा अपनी जो है ये देवताओं का दिया धन है
बहुत सीधे सरल सुंदर समर्पित से यहां जन है
सजे हैं राम हर आंगन जहां ऐसे यहां मन है
सहारा सबको देते हैं सदा ये प्रेम से बढ़कर
संभाला है मुझे इसने हमेशा बाँह में भर कर .
.छलकती हैं यहाँ नदियाँ ;खुशी के गीत गाती है
चमकती है किरण उनमें सभी को वो लुभाती है
नहीं ये जानती अपना पराया न बड़ा छोटा
बुझाती प्यास ये सबकी है इनका जल बहुत मीठा ..
करे ये प्रेम से स्वागत सदा बाहों को फैलाकर..
संभाला है मुझे इसने हमेशा बाँह में भर कर …
मनीषा जोशी मनी
ग्रेटर नोएडा