गीत -पतझर में कोंपल
पतझर पर कोंपल
संदेश नित नये
चैत-अधर फगुनाए
गीत लिख गये
डाल-डाल तरुवों के
सरगम के मधुर बोल
आशा के नये द्वार
मौसम रहा है खोल
समय के पटल पर
नव चित्र दिख गये
झरे पात पीले
इतिहास लिख गये
हरे-भरे पत्रों ने
एक युग बिताया है
पाखी को आश्रय
दी, पंथी को छाया है
हुई पूर्ण आयु तो
विराम कर गये
गुन अपने कोंपलों
के नाम कर गये
युग बदला
रंग बदला
जीने का ढंग
बदला
टूटी हैं रूढियाँ
विचार-क्रान्ति
पग अगला
कुहू निशा आँचल में
दीप जल गये
नये स्वप्न अभिनव
अभिलेख रच गये
डॉ मंजु श्रीवास्तव