गीत : ना जीवन जीना छोड़…
विश्व कैंसर दिवस (04 फरवरी) पर एक गीत:-
कैंसर से डरकर के तू
ना जीवन जीना छोड़
माना यह नाम निराशा का
तू आशाओं की दौड़
बीमारी से डरना ना
ना लड़नें में रखना कसर
ईलाज हमेशा है जरूरी
मन की शक्ति करे असर
यह अगर जीवन से धोखा
तू लगा मौत से होड़
माना यह नाम निराशा का
तू आशाओं की दौड़
कैंसर से डरकर के तू
ना जीवन जीना छोड़…
ये खत्म हो जायेगा
तू नवजीवन पायेगा
कर जीवित इरादों को
खत्म ना खुद को मान
बढ़ जीवन के पथ पर
मौत को देकर मोड़
माना यह नाम निराशा का
तू आशाओं की दौड़
कैंसर से डरकर के तू
ना जीवन जीना छोड़…
प्राण जीते मृत्यु हारी
है कितने ही पर्याय
जिजीविषा ने ही लिखें
नित नित नव अध्याय
शंका होती अंतहीन
ना निकले कभी निचोड़
माना यह नाम निराशा का
तू आशाओं की दौड़
कैंसर से डरकर के तू
ना जीवन जीना छोड़…
मौलिक व स्वरचित।
शांतिलाल सोनी
ग्राम कोटड़ी सिमारला
तहसील श्रीमाधोपुर
जिला सीकर राजस्थान
Mob. 9460192289