गीत- नशा देता मज़ा पहले…
नशा देता मज़ा पहले सज़ा बन बाद में जाए।
ये तन-मन-धन सभी लूटे ख़ुशी बर्बाद में जाए।।
करें नफ़रत सभी प्यारे नहीं विश्वास भी करते।
रखें दूरी मुहब्बत का नहीं अहसास भी करते।
भली हो ज़िन्दगी चाहे मगर नाशाद में जाए।
ये तन-मन-धन सभी लूटे ख़ुशी बर्बाद में जाए।।
नशा विष है बचो इससे कभी भी पास मत जाना।
नशा इक आग है प्यारे जलोगे पास मत जाना।
मिला इकबार इससे जो समझ मिल गाद में जाए।
ये तन-मन-धन सभी लूटे ख़ुशी बर्बाद में जाए।।
क़सम लें आज सब मिलकर नशा जड़ से मिटाएंगे।
करेंगे हम नहीं ‘प्रीतम’ करे उसका छुड़ाएंगे।
मनुज सब श्रेष्ठ हैं जीवन सभी का शाद में जाए।
ये तन-मन-धन सभी लूटे ख़ुशी बर्बाद में जाए।।
आर.एस. ‘प्रीतम’