गीत:- नवरात्रि त्यौहार, तो पावन होता है।
माँ तेरे दर की फ़िज़ा कह रही है।
कि नवराते की शुभ घड़ी आ गई है।।
सजी लाल जोड़े में है मैया हमारी।
हरिक दिल में देखो ख़ुशी छा गई है।।
नवरात्रि त्यौहार, तो पावन होता है।
जगराता माँ तेरे, आँगन होता है।।
नवरात्रि त्यौहार, तो पावन होता है।
जगराता माँ तेरे, आँगन होता है।।
पलभर में कैसे बदल दे,माँ किस्मत।
अब तो हर इक क्षण मन-भावन होता है।।
नवरात्रि त्यौहार, तो पावन होता है।
जगराता माँ तेरे, आँगन होता है।।
नव दिनों तक सज गया है माँ तेरा मण्डप।
नव रतन से जड़ गया है माँ तेरा मण्डप।।
नव दिनों तक सज गया है माँ तेरा मण्डप।
नव रतन से जड़ गया है माँ तेरा मण्डप।।
कर रहे पूजा, सभी उपवास, माँ दुर्गे।
नित करें पूजन हवन उर पाठ माँ दुर्गे।।
दर्शन..दर्शन..दर्शन..दर्शन..
दर्शन दे दो माँ मेरा मन होता है।
नवरात्रि त्यौहार, तो पावन होता है।
जगराता माँ तेरे, आँगन होता है।।
नवरात्रि त्यौहार, तो पावन होता है।
जगराता माँ……
मैं तेरा बालक हूँ अंबे तू मेरी माता।
मैं तो मूरख न हूँ ज्ञानी ज्ञान दो माता।।
मैं तेरा बालक हूँ अंबे तू मेरी माता।
मैं तो मूरख न हूँ ज्ञानी ज्ञान दो माता।।
माँ तेरी हमको हमेशा याद आयेगी।
याद भर करने से क़िस्मत जाग जायेगी।
अम्बे… अम्बे.. रटने से मन चंदन होता है।
नवरात्रि त्यौहार, तो पावन होता है।
जगराता माँ तेरे, आँगन होता है।।
नवरात्रि त्यौहार, तो पावन होता है।
जगराता माँ तेरे, आँगन होता है।।
अब तो हर इक क्षण सुहावन होता है।।
दर्शन दे दो माँ मेरा मन होता है।
अंबे अंबे रटने से मन चंदन होता है।
:- अरविंद राजपूत ‘कल्प’