गीत- तेरे दिल प्यार की ख़ातिर…
तेरे दिल प्यार की ख़ातिर ज़माना छोड़ सकता हूँ।
सितारे तोड़ लाऊँ रुख हवा का मोड़ सकता हूँ।।
लहर बनके इधर आओ किनारा हूँ मुझे छूलो।
किसी को भूल जाओ तुम मगर मुझको नहीं भूलो।
तेरी ख़ातिर सुनो टूटा मैं शीशा जोड़ सकता हूँ।
सितारे तोड़ लाऊँ रुख हवा का मोड़ सकता हूँ।।
बसी हो रूह में जानां ज़ुदा गुल से न ख़ुशबू हो।
तेरी तारीफ़ ये है सुन मेरा सबकुछ तुम्ही तुम हो।
कहो तुम तो मैं सागर पर क़सम से दौड़ सकता हूँ।
सितारे तोड़ लाऊँ रुख हवा का मोड़ सकता हूँ।।
अदा हर यार की ‘प्रीतम’ लुभाती है खिलाती है।
मिलन दिल का हुआ है ख़ूब दीया और बाती है।
तुम्हारा साथ मिल जाए ख़जाना रोड़ सकता हूँ।
सितारे तोड़ लाऊँ रुख हवा का मोड़ सकता हूँ।।
आर.एस. ‘प्रीतम’