गीत- तेरी मुस्क़ान मनसर है…
तेरी मुस्क़ान मनहर है लगें बातें सुहानी-सी।
तुझे चाहूँ क़यामत तक तू हीरे की जवानी-सी।।
घनी ज़ुल्फें घटा बनके भिगोयें तन हृदय मेरा।
गुलाबों-सा हसीं हँसना चुराए मन हृदय मेरा।
नज़र क़ातिल क़मर नागिन मुहब्बत इक कहानी-सी।
तुझे चाहूँ क़यामत तक तू हीरे की जवानी-सी।।
लबों की धूप से छाया मिले चाहत वफाओं की।
खिलें दिन-रात बारिश हो सदा कमसिन अदाओं की।
बहो हरपल बनी निश्छल लहर हर की रवानी-सी।
तुझे चाहूँ क़यामत तक तू हीरे की जवानी-सी।।
हमारा साथ काजल और नैना-चार अद्भुत हैं।
हृदय है पाक अपना तो तभी हम यार सम्मुख हैं।
बनों तुम शीप मैं मोती कहे ‘प्रीतम’ निशानी-सी।
तुझे चाहूँ क़यामत तक तू हीरे की जवानी-सी।।
आर. एस. ‘प्रीतम’