गीत : तू जाग कविता
गीत: तू जाग कविता
छोड़ लज्जा, उतार घूँघट, ले हाथों में तलवार ।
तू जाग कविता इस भारत का कर कुछ उद्धार ।।
कबतक रहेगी सुस्त बनी ।
अब ना तू बैठ बुत बनी ।।
कुछ करना है तू जान ले ।
शीघ्र ही कुछ संज्ञान ले ।।
त्याग श्रृंगार, थाम कटार, दिखा तू अब चमत्कार –
तू जाग कविता,_______________________
श्रृंगार का ना गीत गा ।
उल्फ़त की ना रीत ला ।।
विरह का ना भेष धर ।
वेदना की ना बात कर ।।
संदेश दे संघर्ष का, जोश के लिए कर हुंकार –
तू जाग कविता,____________________
वीरता का भाव दे ।
बाजुओं में ताव दे ।।
आँखों में अंगार ला ।
दिलों में तूफ़ान ला ।।
बात कर जागृति की, क्रांति के लिए कर करार –
तू जाग कविता,_____________________
देश-प्रेम का कर संचार ।
देशहित का कर विचार ।।
तेरे हाथों से हो सूत्रधार ।
तू ही करे भारत उद्धार ।।
तू आग लगा रगों में, जन-जन में हो भक्ति-संचार –
तू जाग कविता इस भारत का कर दे कुछ उद्धार !
तू जाग कविता इस भारत का कर दे कुछ उद्धार !!
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दिनेश एल० “जैहिंद”
14. 08. 2018