गीत//तुमने मिलना देखा, हमने मिलकर फिर खो जाना देखा।
समय नदी की तेज लहर में, सदियों का बह जाना देखा।
तुमने मिलना देखा, हमने मिलकर फिर खो जाना देखा।
तिनका तिनका जोड़ जोड़कर, चिड़ियों को घर रचते देखा।
नन्हें मुन्हों की अगवानी, में हमने घर बसते देखा।
फिर देखा के छोड़ घरौंदा, कैसे बच्चे उड़ जाते हैं।
चलना, चुगना, छुटपुट उड़ना, केवल किस्से रह जातें हैं।
तुमने रहते देखा, हमने केवल घर रह जाना देखा।
तुमने देखा मिलना हमने, मिलकर फिर खो जाना देखा
शाम ढले पेड़ों के नीचे, प्रेमादित्य उभरते देखा।
रंग महावर का आंगन के सूनेपन पर चढ़ते देखा।
आशा की पतवारें लेकर जीवन का आगे बढ़ जाना।
और हृदय के तट पर क्षण को, घट यादों का भरते देखा।
तुमने उगना देखा, हमने सूरज का ढल जाना देखा।
तुमने देखा मिलना, हमने मिलकर फिर खो जाना देखा।
संतों को भी चोला रंगते, धूनी खूब रमाते देखा।
ये जीवन है, वो जीवन है क्या क्या पाठ पढ़ाते देखा।
गीता, गोविंद, पोथी, हौव्वा, आदम गाने वालों को भी।
जैसे काफिर, जाहिल मरते, वैसे ही मर जाते देखा।
तुमने मिट्टी देखी, हमने मिट्टी में मिल जाना देखा।
तुमने देखा मिलना हमने, मिलकर फिर खो जाना देखा