गीत- टूट जाए नहीं हौसला ये कहीं
गीत- टूट जाए नहीं हौसला ये कहीं
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जिन्दगी के लिए सिलसिला ये कहीं,
टूट जाए नहीं हौसला ये कहीं।
★★★
कर्म से ही यहाँ आज सम्मान है
बैठना, खुद का’ ही एक अपमान है
ये तो’ रोजी सुनो जिन्दगी है ते’री
कर्म में ही छिपी हर खुशी है ते’री
छोड़ना तुम नहीं फैसला ये कहीं-
टूट जाए नहीं हौसला ये कहीं।
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जो रुका है यहाँ मिट गया है यहाँ
जल वही है नया जो चला है यहाँ
जो हमेशा सफर में रुके रह गये
सर उ’न्हीं के यहाँ पर झुके रह गये
बिन किये कुछ है’ जीवन खिला ये कहीं?-
टूट जाए नहीं हौसला ये कहीं।
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जो जवानी को’ यूँ ही लुटाते रहे
स्वप्न ही बस हजारों सजाते रहे
यूँ जमाने की ठोकर जो खाते रहे
सोचते अब समय क्यों गवाते रहे
आज खुद से है’ उनको गिला ये कहीं-
टूट जाए नहीं हौसला ये कहीं।
– आकाश महेशपुरी
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नोट- मात्रा पतन के लिए चिह्न (‘) का प्रयोग किया गया है।