#गीत// घायल दिल
#गीत- ‘घायल दिल’
आँख बंद कर विश्वास किया,
उनको हमपर विश्वास नहीं।
ख़ुद से ज़्यादा प्यार किया था,
उनको पर ये अहसास नहीं।।
दिन बदले दिल बदले ऐसे,
चाहत की ख़ुशबू बिखर गई।
सूना देखा मंज़र हमने,
जहाँ तलक भी ये नज़र गई।
ताश महल-सा बिखरा हूँ मैं,
कभी सँवरने की आस नहीं।
ख़ुद से ज़्यादा प्यार किया था,
उनको पर ये अहसास नहीं।।
अपने चंद जहां में होते,
अपना तो यारो एक नहीं।
सबके दरवाज़े बंद मिले,
लगा सभी से हम नेक नहीं।
मुझे तलाश रही उल्फ़त की,
मिली निराशा उल्लास नहीं।
ख़ुद से ज़्यादा प्यार किया था,
उनको पर ये अहसास नहीं।।
वक़्त लगे हमपे अब कम है,
घायल दिल है आँखें नम हैं।
मंज़िल है ना साहिल कोई,
थके-थके हमारे क़दम हैं।
जीने की नहीं तमन्ना है,
‘प्रीतम’ चलें उच्छवास नहीं।
ख़ुद से ज़्यादा प्यार किया था,
उनको पर ये अहसास नहीं।।
#आर.एस.’प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित सृजन