गीत गाऊ
कब तक सोचु तुमको ,
कब तक तेरे गीत गाऊ ,
उम्मीद न रखना कहा था तुमने ,
तो कैसे हृदय की पीड़ा समझाऊ तुमको ,
तुमको न समझा न जाना ,
तब भी प्रीत था माना ,
अब असंभव सा लगता है ,
तुमसे कुछ कह पाना ,
आशा है बस एक बार मिलकर जाना ,
चाहकर तेरी बात न कर पाऊ ,
अब खुद में ही घुटता जाऊ ,
घुटकर तेरी यादों को ठुकराऊ ,
यादों से ही ,
आंखों की बरसात में बहता जाऊ ,
दर्पण में तुझको देखु ,
कब तक तेरी रहा देखु ,
देखु तेरी आदतों को अपना बनाऊ ,
अब तेरे ही गीत गाऊ ||