गीत (कविता)- “होगा कल हमारा रे”
कविता (गीत)- होगा कल हमारा रे
हाथ बढ़ाना यारा रे,
होगा कल हमारा रे |
साथ चलो तो पार करेंगे विपदाओं की खाई |
साथ आओ तो रोकेंगे हम जग की सभी लड़ाई ||
पाकर साथ मिटा देंगे हम जग की सभी बुराई |
आओ आओ सब मिल आओ- आओ बहना भाई ||
भेद भाव सब मिट जाएँगे,
देश दिखेगा न्यारा रे |
होगा कल हमारा रे ||1||
साथ चलो तो मीत मिटेंगी सभी थकानें भारी |
बड़ी से बड़ी मन्ज़िल भी अब होगी यार हमारी ||
साथ चलो तो राह कँटीली होंगी यार सुखारी |
असहाया और निर्बलाएँ भी ना होंगी दुखियारी ||
बेटी को अधिकार मिलेंगे,
समाज लगेगा प्यारा रे |
होगा कल हमारा रे ||2||
साथ चलो तो हो जाएँगे सारे सफर सुहाने |
साथ आओ तो मिल जाएँगे लम्हे सभी दिवाने ||
सभी पराये अपने होंगे- होंगे ना बेगाने |
भारी भारी अन्जाने पल होंगे ना अन्जाने ||
ऐ साथी तू मिल जाये तो,
होगा संग सहारा रे |
होगा कल हमारा रे ||2||
कवि शिवम् सिंह सिसौदिया ‘अश्रु’
ग्वालियर, मध्यप्रदेश,
सम्पर्क- 8602810884, 8517070519