गीत- कभी ख़ुशियाँ कभी ग़म हैं…
कभी ख़ुशियाँ कभी ग़म हैं मिले जीवन ख़ज़ाने में।
समझ हो हौंसला हो वक़्त से बाजी लगाने में।।
बुरे में सब्र कर लेना भले में शुक्र कर लेना।
नहीं ठहरे चलेगा वक़्त फ़ितरत वाह भर लेना।
इबादत हो ज़माने में कि मर्यादा निभाने में।
समझ हो हौंसला हो वक़्त से बाजी लगाने में।।
समय के साथ चलने में लियाक़त की हिफाज़त है।
करे जो और की इज़्ज़त बड़ी उसकी शराफ़त है।
मिलेगा सुख सुखी सबको बनाने में हँसाने में।
समझ हो हौंसला हो वक़्त से बाजी लगाने में।।
समय बलवान होता है इसी का गान होता है।
चलो पीछे अगर इसके सदा सम्मान होता है।
तुम्हारी शान है ‘प्रीतम’ खिलाने में निभाने में।
समझ हो हौंसला हो वक़्त से बाजी लगाने में।।
आर. एस. ‘प्रीतम’