गीत :– बदलो ना तुम इरादे नाकामियों के डर से !!
बदलो ना तुम इरादे …!!
तर्ज – इन्साफ की डगर पे….
रस्ते गुजर रहे हों मुस्किल भरे सफर से !
बदलो ना तुम इरादे नाकामियों के डर से !!
इस जुवां पे हरदम तू सच का नाम लेना !
खुद को सम्हाल थोडी हिम्मत से काम लेना !
टूटे कभी जो हौसला बदनामियों के घर से !
बदलो ना तुम इरादे नाकामियों के डर से !!
कायरों के रंग पे खुद को कभी ना रन्गना !
ना बुजदिलों से डरना कभी बुजदिली ना करना !
रंग दे इस धरा को खुशियों के रंग भरके !
बदलो ना तुम इरादे नाकामियों की डर से !!
ठोकर यहा लगेगी रस्ते उलझने वाले !
शिखर पर खडे है गिर-गिर के उठने वाले !
गिरना नहीं कभी तू अपनी इस नजर से !
बदलो ना तुम इरादे नाकामियों की डर से !!