गीत……आओ सहेली तीज मनाएं
………… गीत
आओ सहेली तीज मनाएं
सावन में खुशीयां मिल गाएं
ऊंची – ऊंची पैंग बढ़ाकर
सावन की महलारें गाएं
आओ सहेली………………….
अब सौलह श्रृंगार भी करलो
नैनों में बलमा को भरलो
साल में ये एक बार है आता
मन कितना इसमें हर्षाए
आओ सहेली…………………
नैनों का काजल कहता है
कानों का झूमर कहता है
कहता है माथे का टिका
साजन के संग पैंग बढ़ाएं
आओ सहेली………………….
नाच रहीं परीयों सी गुड़िया
मस्ती में है सारी बुढ़िया
याद जवानी फिर आती है
बिन दांतों के ही मुस्काए
आओ सहेली………………….
खेलों के मैदान सजे हैं
भंगडा तांसे खूब बजे है
चारों और छाई खुशहाली
देख ये अंग अंग टूटा जाए
आओ सहेली………..
मैडल लाया खूब इंडिया
हम भी खेलें आओ डांडिया
मन के सारे भेद मिटा दो
कोयलया भी गीत ये गाएं
आओ सहेली तीज मनाएं…….।।
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प्रस्तुत रचना मूल के अप्रकाशित रचना है
जनकवि/ बेखौफ शायर
….. डॉ. नरेश “सागर”
11/08/2021……91490847291