गीत- अनोखी ख़ूबसूरत है…पानी की कहानी
अनोखी ख़ूबसूरत है नहीं जिसका कोई सानी।
ग़ज़ब जिसकी कहानी ये कहे दुनिया उसे पानी।।
गिरे आकाश से बारिश इसी का नाम हो जाए।
उठे आकाश की जब ओर जग में भाप कहलाए।
समय अनुकूल बनकर ये बने हर रूप में दानी।
ग़ज़ब जिसकी कहानी ये कहे दुनिया उसे पानी।।
अगर जमकर गिरे ओला निकल तन से पसीना है।
जमे तो बर्फ़ बहकर ये नदी सुंदर क़रीना है।
गिरे जब फूल पल्लव पर इसे शबनम कहें ज्ञानी।
ग़ज़ब जिसकी कहानी ये कहे दुनिया उसे पानी।।
ज़मा हो झील नयनों से बहा आँसू ख़ुशी ग़म का।
प्रलय है क्रोध में ‘प्रीतम’ यही रस प्रेम जीवन का।
कभी झरना कभी ये इत्र सागर आब सुल्तानी।
ग़ज़ब जिसकी कहानी ये कहे दुनिया उसे पानी।।
आर. एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- सानी- दूसरा/बराबरी का/समान, क़रीना- तरतीब/तरीक़ा, पल्लव- पत्ता, शबनम- ओस, प्रलय- विनाश