गीत अनुभव बिना अधूरा होता है …
गीत अनुभव बिना अधूरा होता है,
जैसे सरगम बिना सुर बेसुरा होता है,
दम तोड़ देतीं सिसकियाँ भी,
सर पटक – पटक कर,
गर उम्र भर साथी का साथ पूरा न होता है
गीत अनुभव बिना अधूरा होता है ….
आज भी सोने से पहले, अलसुबह जगने के बाद,
स्वप्न में भी संग रहे पर फिर भी आती उनकी याद
नहीं ख्वाब भी कोई सदां ही पूरा होता है,
गीत अनुभव बिना अधूरा होता है …
तन्हाइयों में जीवन कुछ इस तरह से खो गया,
कि स्वयं को ही छोड़ मैं सारे जहां का हो गया,
अब क्या हुआ जो हाथ में सुरा होता है,
गीत अनुभव बिना अधूरा होता है…
मौजूदा जंगे जिन्दगी भी, दे गई ऐसी कसक,
हॅसना चाहा जब भी हमने अश्क आये हैं छलक,
नहीं मौत से भी ज्यादा किसी का बुरा होता है
गीत अनुभव बिना अधूरा होता है …
पर न छोड़ना सुमन तुम, खिल खिलाना मुस्कुराना
शूल संग रहते हुए भी, महकमय संसृति बनाना
क्योंकि होना तो वही है, जो नियति ने लिखा होता है
गीत अनुभव बिना अधूरा होता है …
✍सुनील सुमन