गीत- अँधेरों को हरा रोशन…
अँधेरों को हरा सुंदर खिला आधार पाओगे।
चिराग़ों को जला रोशन नया घर-बार पाओगे।।
इरादे नेक होंगे जब तेरी मेहनत हँसाएगी।
करो दीदार हँसकर तुम कली गुल बन लुभाएगी।
ग़ुलों के साथ में ख़ुशबू भरा संसार पाओगे।
चिराग़ों को जला रोशन नया घर-बार पाओगे।।
लतीफ़ा ज़िन्दगी भूले किसी की मत बना देना।
किसी के प्यार की क़ीमत गुमाँ कर मत लगा देना।
ग़लत हलचल अगर की तो हमेशा ख़ार पाओगे।
चिराग़ों को जला रोशन नया घर-बार पाओगे।।
बिछाओ नूर की चादर ज़रूरत के ख़ज़ाने की।
सभी उम्मीद छोड़ो तुम ज़माने में बहाने की।
समझ लेना तभी ‘प्रीतम’ हृदय का सार पाओगे।
चिराग़ों को जला रोशन नया घर-बार पाओगे।।
आर. एस. ‘प्रीतम’