गीतिका
करीब इतनी कि फासले न रहे
फासले इतने कि दूरियां न रहे
दिन हवा रात धुआं शाम नदारत
जब से वो लम्हे दरमियां न रहे
लगा कई बार फासले मिट गये
गिले शिकवे की निशानियां न रहे
लगा मेरे ही बदन का हिस्सा हो
बहुत खूब ये गलतफहमियां रहे
न हुई एक आखिरी मुलाकात भी
करें क्या बात कि नजदीकियां रहे
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अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 90441342970