गीतिका
आधार छंद- त्रिलोकी
मात्रा विधान- 20 मात्रा। 11,10 पर यति। यति के पूर्व पश्चात त्रिकल, अंत में लगा।
उठ प्रातः लो नित्य,नाम भगवान का।
यदि है मिला शरीर ,तुम्हें इंसान का।।1
कभी न रखना गुप्त,बाँटना नित्य ही,
अच्छा है विस्तार,यही निज ज्ञान का।।2
बोल न ओछी बात,सता न जीव कभी,
संरक्षण कर तात ,मिले सम्मान का।।3
मानें पतन समाज,कूप मंडूक जो,
देखें करें विलाप,सदा परिधान का।।4
जिन्हें कृष्ण से प्रीत,धाम ब्रज खोजते,
धारे रूप महान,भक्त रसखान का।।5
राम चरण अनुराग,बसे जिस हृदय में,
वह चाहे बस साथ,दास हनुमान का।।6
स्वयं बनाओ राह,रँभाना छोड़ दो,
खोजो निज तूणीर,तीर संधान का।।7
डाॅ बिपिन पाण्डेय