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9 Feb 2018 · 1 min read

गीतिका

वन्दित हरी- भरी वसुंधरा , रंग रूप कमाल है
प्रहरी उत्तुंग शिखर है अडिग रक्षक वो विशाल हैं
***
मेखला पावनी नदियां जो निरंतर सस्वर बहें
विविध बोलियां भाषाओं से ऊँचा हुआ भाल है
***
नित्य बढ़ती जनसंख्या इधर आपदाएं भी मगर
मानव को तो घेर रहा इक रोटी का सवाल है
***
नारी नहीं रही सुरक्षित अब अस्मिता है लुट रही
बेटी बचाओ पढ़ाओ का फिर भी अहम ख्याल है
***
महंगाई से पिस रहे उस गरीब को होश कहाँ
नेताओं को चिंता कैसी हुए मालामाल हैं

शारदा मदरा

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