गीतिका
जीवन में हर रंग चाहिए।
जीने का भी ढंग चाहिए।।1
तंग भले कपड़े हों लेकिन,
नहीं नजरिया तंग चाहिए।।2
निर्मलता हो जिसकी खूबी,
उर में ऐसी गंग चाहिए।।3
भोले बचपन की रक्षा हित,
लड़नी सबको जंग चाहिए।।4
मन को कौन पूछता है बस,
गोरे सुंदर अंग चाहिए।।5
हर घटना है प्रभु की लीला,
देख न होना दंग चाहिए।।6
सफर सुहाने की चाहत तो,
चलना सबके संग चाहिए।।7
डाॅ. बिपिन पाण्डेय