“गीतिका”
गीतिका –
* * * * *
साथ तेरा मिला हम सँभलने लगे |
ये समय को न भाया बदलने लगे |
क्या अजब रीत है इस जहाँ की सुनो
पास पैसा नहीं सुर बदलने लगे |
जब नया पद मिला और कद बढ़ गया
सब सगा है बताकर उछलने लगे |
फूल फिर इक नया जब खिला डाल पर
देख मधुकर ख़ुशी से मचलने लगे |
इश्क कैसी है’ शै ये बताना जरा
पाँव खुद ही हमारे फिसलने लगे |
जब कड़ी धूप में पाँव जलने लगे |
साथ छाया बने तुम तो चलने लगे |
“छाया”