** गीतिका **
जिंदगी लगती कभी सीधी तो,कभी आरी है।
पूरी जिन्दगी इस गुत्थी को समझना भारी है।
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डुबकी लगाना ही पड़ता है इस ऊहापोह में,
साथ हमारे रहता हमेशा वक्त की सवारी है।
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कभी दर्द को दफन करके है हँसना पड़ता,
तो कभी बेमतलब ही हँसना रहता जारी है।
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वक्त जाया कर लेते हैं हम इसे समझने में ,
चलते चलें ये सवारी न हमारी है न तुम्हारी है।
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कहे पूनम उलझे रहते हम इसे सुलझाने में,
यही गुत्थी कहाती जिंदगी की जिम्मेदारी है।
@पूनम झा
कोटा राजस्थान