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9 Jan 2017 · 1 min read

गीतिका

2,2,2,2,2,2,2,2,
पदांत किया जाता है
समांत आन
——————————

मन बलवान किया जाता है
भय का दान किया जाता है

हो जीवन में घोर निराशा
प्रभु का ध्यान किया जाता है

सिसक रही देखो अच्छाई
क्यों बदनाम किया जाता है

पहले तोली जाती जेबें
तब सम्मान किया जाता है

प्रेम भरे हो दिल अक्सर तो
कत्ले आम किया जाता है

जब मिल जाती पिय से नजरें
सुख का भान किया जाता है

खुले नहीं है राज दिलों के
बस अनुमान किया जाता है

�������

अंकिता

1 Like · 408 Views
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