गीतिका …..
गीतिका
आधार छंद – चौपई (जयकरी छंद )-15 मात्रिक -पदात-गाल
साँसें जीवन का शृंगार ।
बिना साँस सजती दीवार ।
कब जीवित का होता मान ,
चित्रों को पूजे संसार ।
मिलता अपनों से आघात ,
इनका प्यार लगे बेकार ।
पल-पल रिश्ते बदलें रूप ,
मतभेदों से पड़ी दरार ।
बड़ा अजब जग का दस्तूर ,
भरे प्यार में ये अंगार ।
सुशील सरना /