गीतिका- हँसना तो एक बहाना है
गीतिका- हँसना तो एक बहाना है
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हँसना तो एक बहाना है।
गम का भी इधर खजाना है।।
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क्यूँ बैठा हूँ आस लगाए,
किसका ये हुआ जमाना है।
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है चाहत मिल जाये दुनिया,
पर दुनिया से ही जाना है।
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आखिर कितना दर्द सहेंगे,
कुछ इसका भी पैमाना है।
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है जितना नजरों में पानी,
बस अपनों का नजराना है।
०००
कितना भी “आकाश” उड़ो तुम,
इस धरती पर ही आना है।
– आकाश महेशपुरी