गीतिका संग्रह- अनुबंधों की नाव से
बात- बात पर लोग हो रहे, देखो पीले- लाल।
संयम धीरज शौर्य चुक गया,है प्रभाव कलिकाल।।1
सच्चाई दम तोड़ रही है, झूठ मचाए शोर,
जाने समझे बिना देखिए, करते लोग बवाल।।2
जलते हैं विद्या के मंदिर, घायल है कश्मीर,
जन मानस को साथ मिलाओ,थम जाए भूचाल ।।3
रखो सुरक्षित जैसी भी है,सब खुद की पहचान,
नहीं नकल करने से बनता,बगुला कभी मराल।।4
प्रेम -सुधा में नशा बहुत है,उसका करिए पान,
मदिरा पीने वाले जग में ,हुए सभी कंगाल।।5
सत्य अहिंसा त्याग धार दिल,जो चलते सन्मार्ग,
उन्हें कृपा मिलती है प्रभु की, होते मालामाल।।6
प्रभु चरणों में ध्यान लगाओ,त्यागो जग का मोह,
ईश ध्यान ही श्रेष्ठ जगत में, बाकी मायाजाल।।7
डाॅ. बिपिन पाण्डेय