गीतिका को समर्पित गीतिका
गीतिका को समर्पित गीतिका
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दिल को’ करती है’ हर्षित विधा गीतिका,
अब तो’ सबको समर्पित विधा गीतिका।
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है न चोरी का’ भय ही, न खोने का’ डर,
दिल के’ पन्नों में’ रक्षित विधा गीतिका।
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हक मिला है इसे आज सम्मान का,
जाने’ कब से थी’ वंचित विधा गीतिका।
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हम सभी ने स’म्हाला इसे प्यार से,
अब न होगी ये’ खंडित विधा गीतिका।
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ये तो’ “आका’श” को भी पराजित करे,
सबकी’ बन जाये’ वंदित विधा गीतिका
– आकाश महेशपुरी
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नोट- मात्रा पतन के लिये (‘) चिह्न का प्रयोग।