गीता छन्द
गीता छन्द
2212 2212 2212 221
हे श्याम मुझको दो सुना, उस बाँसुरी की तान।
सुनके जिसे वो राधिका, करती रही गुणगान।।
जिस तान को सुनकर चली, सखियाँ तुम्हारे पास।
था गोपियों के साथ में, मधुवन रचाया रास।।
अदम्य
गीता छन्द
2212 2212 2212 221
हे श्याम मुझको दो सुना, उस बाँसुरी की तान।
सुनके जिसे वो राधिका, करती रही गुणगान।।
जिस तान को सुनकर चली, सखियाँ तुम्हारे पास।
था गोपियों के साथ में, मधुवन रचाया रास।।
अदम्य